Dera Jagmalwali News: डेरा जगमालवाली के गद्दी आसीन बाबा वकील साहब ने चोला छोड़ा
हरियाणा के सिरसा जिले के डेरा जगमाल वाली के मुखिया महाराज बहादुर चंद वकील का आज सुबह निधन हो गया है। पिछले कई दिनों से उनकी हालत खराब थी। डेरा प्रमुख की हालत खराब होने के चलते उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां उनका इलाज चल रहा था। संत वकील साहब करीब 1 साल से बीमार चल रहे थे। आज शाम करीब 3.30 बजे अंतिम दर्शनों के लिए उन्हें जगमालवाली डेरा लाया जाएगा।
डेरा प्रमुख के निधन की खबर से डेरे में 3 से 4 अगस्त को होने वाले सालाना समागम को रद कर दिया गया है। यह पहली बार होगा जब डेरे में कोई सालाना समागम नहीं हो रहा है। डेरा प्रमुख की हालत नाजुक होने के कारण उनके श्रद्धालुओं में चिंता बनी हुई थी। इसको लेकर डेरा मैनेजमेंट कमेटी लगातार हेल्थ बुलेटिन जारी कर सांत्वना दे रही थी।
31 जुलाई को डेरा मैनेजमेंट में हेल्थ बुलेटिन जारी कर कहा था कि ” सतगुरु की प्यारी साध-संगत जी- परम पूज्य महाराज जी का इलाज बहुत की अनुभवी व विशेषज्ञ डॉकटरों की टीम कर रही है और उनके स्वास्थ्य की स्थिति यथास्थिर बनी हुई है। इसलिए साध संगत से प्रार्थना है कि अस्पताल में आने के बजाय महाराज जी के जल्दी ठीक होने के लिए ज्यादा से ज्यादा सिमरन करें और अफवाहों पर ध्यान न देवें “।
हिसार और चंडीगढ़ में की थी पढ़ाई
संत बहादुर चंद (वकील साहिब जी) मूल रूप से गांव चौटाला के निवासी हैं। इनका जन्म 10 दिसम्बर 1944 को गांव चौटाला में हुआ था। प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही स्कूल में हुई। स्कूल पास करने के बाद उन्होंने हिसार में दयानंद कॉलेज में दाखिला लिया। जहां वे लाजपत राय छात्रावास में रहे और आर्य समाज प्रचारणी सभा के अध्यक्ष बन गए। फिर उन्होंने चंडीगढ़ में लॉ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1968 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद डेरा जगमालवाली से जुड़ गए। 9 अगस्त 1998 को संत बहादुर चंद को डेरे की गद्दी सौंपी गई और तब से लेकर वह मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख हैं।
देश-विदेश में है डेरे की ख्याति
कालांवाली मंडी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव जगमालवाली, करीब 300 वर्ष पूर्व बसा था। डबवाली रोड स्थित छोटे से इस गांव की देश ही नहीं विदेशों में भी ख्याति है और वो है गांव में मस्ताना शाह बिलोचिस्तानी आश्रम के कारण। इसके अलावा गांव में शिवरात्रि पर्व पर मेला लगता है, जिसमें खेल मुकाबले होते हैं। रक्तदान सहित अनेक समाज भलाई के कार्य भी बाबा मोती पुरी स्पोर्ट्स क्लब द्वारा किए जाते हैं। क्लब द्वारा गांव में श्मशान घाट को भी सुंदर रूप दिया गया है। गांव का क्षेत्रफल करीब 5 हजार एकड़ है। यहां 3 गुरुद्वारा व 2 बड़े डेरे हैं।
बिलोचिस्तानी आश्रम है आकर्षण व श्रद्धा का केंद्र
वर्ष 1964-65 में जहां के एक किसान बाबा सज्जन सिंह रूहल जो फक्कर व अविवाहित थे, ने संत गुरबक्श सिंह मैनेजर साहिब को कई एकड़ भूमि दान देकर यहां डेरा बनाने की प्रार्थना की थी। जिस पर संत गुरबक्श सिंह मैनेजर साहिब ने जहां मस्ताना शाह बिलोचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। शुरुआत में छोटा सा यह आश्रम अब संत की लोकप्रियता के चलते एक विशाल रूप ले चुका है। डेरा के अंदर लगभग 100-100फीट का बहुत ही भव्य सचखंड बना हुआ है जिसकी ख़ासियत यह है कि इसमें कोई भी पिलर नहीं बना है। वर्तमान में डेरे की गद्दी संत बहादुर चन्द वकील साहिब के पास है।