जीरे के तीन प्रकारों में सफेद जीरा प्रमुख, न्यूनतम ₹21,000 और अधिकतम ₹30,000 प्रति क्विंटल
जीरा, भारतीय मसालों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। यह फसल ज्यादातर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में आती है, जिसके कारण इसकी कीमतें अक्सर बदलती रहती हैं। जीरे की खेती के लिए गुजरात और राजस्थान का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है, और इन राज्यों में जीरे का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
जीरे की मौजूदा बाजार दरें
जीरा भाव 03 अगस्त 2024 के अनुसार, जीरे का औसत मूल्य ₹26,250 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है। वहीं, न्यूनतम मूल्य ₹21,000 प्रति क्विंटल और अधिकतम मूल्य ₹30,000 प्रति क्विंटल रहा। यह दरें फसल की गुणवत्ता, मांग और बाजार की स्थिति के अनुसार बदलती रहती हैं।
जीरे के प्रमुख उत्पादन क्षेत्र
जीरे का मुख्य उत्पादन गुजरात में होता है, जहां की जलवायु इसके लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है। इसके अलावा, राजस्थान और पंजाब भी जीरे के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों में जीरे की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, जिससे यह मसाला पूरे देश में उपलब्ध होता है।
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जीरे के प्रकार और उनकी पहचान
आयुर्वेद के अनुसार, जीरे को तीन मुख्य प्रकारों में बांटा गया है:
- काला जीरा (Carum carvi Linn.): इसका उपयोग विशेष औषधीय गुणों के लिए किया जाता है और इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण माना जाता है।
- सफेद जीरा (Cuminum cyminum Linn.): यह आमतौर पर खाना पकाने में इस्तेमाल होता है और भारतीय व्यंजनों में एक प्रमुख मसाला है।
- अरण्य जीरा (जंगली जीरा) (Centratherum anthelminticum (Linn.) Kuntze): यह जीरे का एक जंगली प्रकार है, जिसका उपयोग औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
जीरे की खेती की चुनौतियां और संभावनाएं
जीरे की खेती जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होती है। सूखा, बाढ़ या अत्यधिक तापमान जैसे कारक जीरे की फसल को प्रभावित कर सकते हैं। इसके बावजूद, गुजरात और राजस्थान के किसान जीरे की खेती में अग्रणी हैं और वे इस मसाले की वैश्विक मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।