Monsoon Update 2024: भारत में मानसून की बारिश देश की अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह वर्षा लाखों किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई करने और देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में मदद करती है। 2024 में, भारतीय मानसून के समय से पहले दस्तक देने की संभावना है, जो देश भर के लोगों के लिए राहत की बात है।
समय से पहले मानसून
इस साल, भारत में मानसून के समय से पहले दस्तक देने की संभावना है। मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि जून की शुरुआत में ही देश के कुछ हिस्सों में बारिश शुरू हो सकती है।
अल नीनो का प्रभाव कमजोर
इस साल मानसून की समयबद्धता और मात्रा को लेकर अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि प्रशांत महासागर में चल रहे अल नीनो का प्रभाव कमजोर पड़ रहा है। अल नीनो एक मौसम विज्ञान घटना है जो आमतौर पर भारत में कम वर्षा का कारण बनती है।
ला नीना की संभावना
अल नीनो के कमजोर होने के बाद, ला नीना नामक एक और मौसम विज्ञान घटना विकसित होने की संभावना है। ला नीना का प्रभाव अल नीनो के विपरीत होता है और यह भारत में अधिक वर्षा ला सकता है।
अल नीनो ला नीनो क्या है ?
अल नीनो और ला नीना पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में दो प्राकृतिक विपरीत चरण हैं, जो प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन के कारण होते हैं। ये परिवर्तन दुनिया भर में मौसम के पैटर्न को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) जून 2024 में मानसून के लिए अपना आधिकारिक पूर्वानुमान अगले महीने जारी करेगा।
पिछले वर्षों का प्रदर्शन
2015 से, 2018 को छोड़कर हर साल मानसून सीजन के दौरान बारिश सामान्य सीमा में रही है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) का विश्लेषण
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार, 2023-24 में अल नीनो का मौजूदा दौर अब तक के पांच सबसे मजबूत दौरों में से एक था।
अधिक तापमान की संभावना
डब्ल्यूएमओ ने कहा है कि मौजूदा अल नीनो का प्रभाव कम से कम इस साल मई तक जारी रह सकता है, इस दौरान दुनिया के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है।
समुद्र की सतह का तापमान
डब्ल्यूएमओ ने यह भी कहा है कि अन्य महासागरों में समुद्र की सतह का तापमान भी अधिक है और यह आने वाले महीनों में वैश्विक तापमान को सामान्य से अधिक गर्म रखने में भूमिका निभाएगा।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे सौलो ने कहा है कि अल नीनो ने रिकॉर्ड तापमान में योगदान दिया है, लेकिन गर्मी को रोकने वाली ग्रीनहाउस गैसें स्पष्ट रूप से मुख्य दोषी हैं।