Monsoon 2024: आधुनिक मौसम विभाग के आगमन से पहले, जब मानव सभ्यता प्रकृति के अनिश्चित मिजाज़ से जूझ रही थी, तब लोगों ने प्राकृतिक संकेतों को समझने और मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए सदियों पुराने ज्ञान का सहारा लिया था। इनमें से एक अनोखी परंपरा आज भी बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित है, जहाँ टिटहरी नामक पक्षी, मानसून के आगमन और वर्षा की अवधि का संकेत देते हैं।
दमोह जिले के खड़ेरी गाँव में रहने वाले किसान नन्ना रैकवार के खेत में, टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं। यह अद्भुत घटना गाँव के बुजुर्गों और अनुभवी किसानों के लिए एक शुभ संकेत है। उनका मानना है कि इस साल चार महीने की अच्छी बारिश होगी, जिससे फसलों को भरपूर लाभ मिलेगा।
यह परंपरागत ज्ञान टिटहरी के अंडों की संख्या और उनके स्थान पर आधारित है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि टिटहरी चार अंडे देती है, तो चार महीने की बारिश होगी। यदि अंडे खेत में रखे जाते हैं, तो यह प्रचुर वर्षा का संकेत है।
वहीं, यदि अंडे नदी के किनारे या पेड़ों पर रखे जाते हैं, तो कम वर्षा होने की संभावना होती है। यह सदियों पुराना अवलोकन, वर्षों के अनुभव और प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध पर आधारित है, जो ग्रामीणों को आधुनिक मौसम विज्ञान के आंकड़ों से परे, मानसून का सटीक अनुमान लगाने में मदद करता है।
यह टिटहरी-बारिश का संबंध, न केवल मौसम का पूर्वानुमान लगाने का एक अनूठा तरीका है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान और सदियों पुराने ज्ञान का भी प्रतीक है। यह दर्शाता है कि कैसे पारंपरिक ज्ञान, आधुनिक विज्ञान के पूरक हो सकता है, और हमें प्रकृति की बारीकियों को समझने में मदद कर सकता है।