Digital Survey: हरियाणा के एत्मादपुर के गिर्राज सिंह और ताजगंज के श्याम बहादुर की भूमि विवाद की कहानियां इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती हैं। दो वर्षों से तहसीलदार एत्मादपुर की कोर्ट में लंबित गिर्राज सिंह के भूमि विवाद का समाधान कब होगा, यह कोई नहीं जानता, लेकिन गिर्राज सिंह के लिए यह एक बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। श्याम बहादुर का भी यही हाल है, जो अपने पड़ोसी राजेंद्र कुमार के साथ एक मीटर भूमि को लेकर ढाई साल से एसडीएम कोर्ट में उलझे हुए हैं।
केंद्रीय बजट में डिजिटल भूमि सर्वेक्षण
केंद्रीय बजट में डिजिटल भूमि सर्वेक्षण का रास्ता साफ हो गया है। इस पहल से न केवल भूमि विवाद कम होंगे, बल्कि कोर्ट में पहुंचने वाले मामलों की संख्या भी घटेगी। एक क्लिक पर फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल खुलने से सभी सरकारी विभागों को सत्यापन में आसानी होगी। यह कार्य लेखपालों द्वारा किया जाएगा, जिससे कार्यों में पारदर्शिता आएगी और भूमि से संबंधित फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा।
Also Read: हरियाणा की फसल बीमा मुआवजा सूची जारी; कपास किसानों को 65 करोड़ रुपये का मिला अनुदान
डिजिटल क्राप सर्वे की सफलता
कृषि विभाग ने जनवरी 2024 में डिजिटल क्राप सर्वे शुरू किया था। राजस्व और कृषि विभाग के प्रतिनिधियों ने खेत-खेत पहुंचकर डाटा अपलोड किया। जिले के 932 गांवों में सर्वे के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी गई। अब केंद्र सरकार डिजिटल भूमि सर्वेक्षण कराएगी।
डीएम प्रशासन अजय कुमार सिंह ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे प्रदेश के कुछ जिलों में लागू किया गया था। इसमें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और 3डी लेजर स्कैनर जैसे उन्नत उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। भूमि सर्वेक्षण का डाटा फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल में फीड किया जाएगा।
किसानों के लिए लाभ
किसान नेता श्याम सिंह चाहर का कहना है कि डिजिटल भूमि सर्वेक्षण होने से कितनी भूमि ली गई और किसान के पास कितनी भूमि बची है, यह एक क्लिक पर पता चल जाएगा। इससे अधिकारी किसानों से अतिरिक्त भूमि नहीं ले सकेंगे। किसान नेता सोमवीर यादव का मानना है कि भूमि विवादों में कमी आने से किसानों का समय और पैसा दोनों बचेंगे।
डिजिटल भूमि सर्वेक्षण के फायदे
लाभ | विवरण |
---|---|
भूमि रिकॉर्ड की जानकारी | फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल पर एक क्लिक पर भूमि रिकॉर्ड देख सकेंगे। |
भूमि पर कब्जे की पहचान | कब्जे की स्थिति का आसानी से पता चलेगा, नई पैमाइश की जरूरत नहीं। |
समय और पैसे की बचत | तहसीलों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। |
रिकॉर्ड की सुरक्षा | रिकॉर्ड से किसी भी तरीके से छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी। |
ऋण सुविधाओं में आसानी | ऋण सुविधाओं के लिए रिकॉर्ड का सत्यापन सरल होगा। |
प्रमाण पत्र बनाने में सुविधा | आय, जाति, निवास, हैसियत प्रमाण पत्र बनाने में आसानी होगी। |
फसल बीमा भुगतान में मदद | फसल बीमा के भुगतान में आसानी होगी। |
उद्योगों को भूमि उपलब्धता | नए उद्योगों को भूमि मिलने में आसानी होगी। |
सुरक्षित डिजिटल रिकॉर्ड
अब तक कलक्ट्रेट स्थित राजस्व अभिलेखागार और तहसील सदर स्थित निबंधन विभाग के मुख्य रिकॉर्ड रूम में पुराना रिकॉर्ड रखा जाता था। इन कार्यालयों में अक्सर महत्वपूर्ण दस्तावेज फटने या बंदरों द्वारा उठाकर ले जाने के मामले सामने आते थे। रिकॉर्ड डिजिटल होने के बाद यह समस्याएं नहीं होंगी।
डिजिटल भूमि सर्वेक्षण की इस नई पहल से भूमि विवादों में कमी आएगी और किसानों को समय पर न्याय मिल सकेगा। भूमि से जुड़े सभी रिकॉर्ड एक क्लिक पर उपलब्ध होने से पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों को अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इससे न केवल किसानों का समय और पैसा बचेगा, बल्कि भूमि विवादों का समाधान भी तेजी से हो सकेगा।