Haryana News, Chandigarh: हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल गुरुवार सुबह 8:00 बजे से शुरू होगी। हरियाणा मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HMSA) ने सरकार से अपनी मांगों को लेकर की जाने वाली वार्ता के स्थगित होने के बाद हड़ताल का निर्णय लिया है। HMSA के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश खयालिया ने जानकारी दी कि डॉक्टरों की यह हड़ताल विशेषज्ञ चिकित्सकों को अलग कैडर समेत अन्य मांगों को लेकर की जा रही है।
हड़ताल का असर
इस हड़ताल के चलते प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी (आउट-पेशेंट डिपार्टमेंट) सेवाएं बंद रहेंगी और डॉक्टर मरीजों की जांच नहीं करेंगे। केवल आपात सेवाएं, जैसे इमरजेंसी, ट्रॉमा सेंटर और पोस्टमार्टम हाउस चालू रहेंगे। हड़ताल में शामिल होने वाले डॉक्टरों की संख्या तीन हजार से अधिक है, जिससे मरीजों को काफी असुविधा हो सकती है।
हड़ताल की प्रमुख मांगे
- विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए अलग कैडर: HMSA की मांग है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए अलग कैडर बनाया जाए। यह मांग दो साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा मंजूर की गई थी, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया है।
- पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) के लिए बांड राशि: वर्तमान में सर्विस में रहते हुए पीजी करने के लिए डॉक्टरों को एक-एक करोड़ रुपये के दो बांड भरने पड़ते हैं। एसोसिएशन की मांग है कि यह राशि पहले की तरह 50 लाख रुपये की जाए।
- सीधी भर्ती न करके पदोन्नति के माध्यम से सीनियर मेडिकल ऑफिसर बनाए जाएं: एसोसिएशन का कहना है कि सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पदों पर सीधी भर्ती के बजाय पदोन्नति के माध्यम से भर्ती की जाए।
सरकार का रुख
सरकार ने बुधवार शाम 5:30 बजे HMSA को वार्ता का न्योता दिया था, लेकिन कुछ समय पहले ही इसे स्थगित कर दिया गया और अब यह वार्ता गुरुवार दोपहर 12:00 बजे होगी। HMSA ने इस वार्ता को महत्वपूर्ण बताया है, लेकिन उन्होंने हड़ताल का निर्णय भी ले लिया है।
हंगर स्ट्राइक
अपनी मांगों के समर्थन में संगठन के चार वरिष्ठ सदस्य डीजी हेल्थ के सामने हंगर स्ट्राइक पर बैठ गए हैं। कल से प्रत्येक जिले से दो-दो डॉक्टर आकर इस जगह स्ट्राइक पर बैठेंगे।
हड़ताल का प्रभाव
हरियाणा में इस समय 71 सिविल अस्पताल, 120 सीएचसी (Community Health Centres), 407 पीएचसी (Primary Health Centres) और 2727 सब सेंटर हैं। औसतन हर जिले में रोजाना दो हजार से अधिक मरीजों की सरकारी अस्पतालों में जांच की जाती है। हड़ताल के चलते ओपीडी बंद रहने से प्रतिदिन औसतन करीब 50 हजार जरूरतमंद लोगों की जांच प्रभावित रहेगी।