Dera Jagmalwali News: सिरसा, हरियाणा के सिरसा जिले के डेरा जगमालवाली में प्रमुख बहादुर चंद वकील साहब का शुक्रवार को समाधि दी गई। उनके पार्थिव शरीर को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में दफनाया गया। उनका निधन 1 अगस्त को हुआ था, और इसके बाद डेरा में गद्दी को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। यह विवाद इतना बढ़ा कि डेरे में पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी।
गद्दी को लेकर विवाद: दो पक्ष आमने-सामने
डेरा प्रमुख के निधन के बाद डेरा जगमालवाली में गद्दी को लेकर दो पक्ष आमने-सामने हो गए। एक पक्ष डेरा प्रमुख के भतीजे अमर सिंह और उनके समर्थकों का है, जबकि दूसरा पक्ष महात्मा बिरेंद्र सिंह और उनके समर्थकों का है। महात्मा बिरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को खुद को डेरा जगमालवाली का अगला प्रमुख घोषित कर दिया, लेकिन अमर सिंह और उनके समर्थक इस बात को मानने से इनकार कर रहे हैं।
पक्ष | दावा | स्थिति |
---|---|---|
अमर सिंह और समर्थक | गद्दी के उत्तराधिकारी के लिए पात्र | वसीयत को चुनौती दी |
महात्मा बिरेंद्र सिंह और समर्थक | डेरा प्रमुख द्वारा घोषित उत्तराधिकारी | वसीयत की वीडियोग्राफी उपलब्ध |
बिश्नोई परंपरा के तहत समाधि
बिश्नोई समाज की परंपरा के अनुसार, डेरा प्रमुख बहादुर चंद वकील साहब को समाधि दी गई। उनके भतीजे अमर सिंह ने बताया कि परंपरा के अनुसार, शरीर को समाधि देकर दफनाया जाता है। उनके परिवारिक सदस्यों, जिसमें उनके बेटे ओम प्रकाश, पोते मुकेश कुमार प्रवीण बिश्नोई और भाई बुधराम बिश्नोई शामिल थे, ने डेरा जगमालवाली में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की।
वसीयत को लेकर विवाद और तनाव
डेरा प्रमुख के निधन के बाद उनकी वसीयत को लेकर विवाद शुरू हो गया। गुरुवार को वसीयत पढ़ने के दौरान महात्मा बिरेंद्र सिंह के समर्थकों ने दावा किया कि वसीयत उनके पक्ष में है। इसके बाद अमर सिंह और उनके समर्थकों ने हंगामा कर दिया। इस दौरान दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
विवाद के वीडियो और पुलिस की कार्रवाई
इस विवाद के दौरान कुछ वीडियो भी वायरल हुए, जिनमें लोग एक व्यक्ति के साथ मारपीट करते दिख रहे हैं। इन वीडियोज़ में पुलिस भी हस्तक्षेप करती नजर आ रही है। हालांकि, इस मामले में देर रात तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। अमर सिंह की ओर से एक शिकायत पुलिस में दी गई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
बाहरी लिंक: बिश्नोई समाज की परंपराएं
महात्मा बिरेंद्र सिंह का पक्ष
महात्मा बिरेंद्र सिंह से जुड़े लोगों का कहना है कि डेरा प्रमुख बहादुर चंद वकील साहब ने अपनी वसीयत में महात्मा बिरेंद्र सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके लिए पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी, जिसे संगत में भी दिखाया गया। उनके समर्थकों का कहना है कि वे महाराज जी की वसीयत का सम्मान करेंगे और उनकी इच्छा के अनुसार सेवा करेंगे।
डेरा जगमालवाली के प्रमुख बहादुर चंद वकील साहब के निधन के बाद उत्पन्न यह विवाद कितना लंबा खींचेगा, यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात साफ है कि डेरा जगमालवाली में इस समय तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, और पुलिस की उपस्थिति बनी हुई है।
इतिहास और परंपराएं
डेरा जगमालवाली की स्थापना 1964-65 में संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब द्वारा की गई थी। यह आश्रम करीब 100-100 फीट का सचखंड है, जिसमें कोई स्तंभ नहीं बना है। डेरा की शुरुआत बाबा सज्जन सिंह रूहल द्वारा दी गई जमीन पर हुई थी, जो अब एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है।
नोट: इस विवाद के चलते आगे की स्थिति क्या होगी, यह समय बताएगा। फिलहाल, पुलिस की सतर्कता और प्रशासन की निगरानी में डेरा जगमालवाली में स्थिति सामान्य रखने की कोशिश की जा रही है।