Weather Stone Story: आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं और संसाधनों से पूरी तरह से परिपूर्ण हैं। ऐसे में मौसम की जानकारी के लिए हमें सेटेलाइट का सहारा लेना पड़ता है और हमारे मौसम विज्ञानी अपडेट देते रहते हैं। लेकिन आज से 500 साल पहले लोगों को मौसम में बारे में जानकारी कैसे मिलती थी?
आज हम आपको ऐसे पत्थर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मौसम के बारे में पूरी जानकारी देता है और पुराने समय में भी लोगों को इस पत्थर के द्वारा ही मौसम की जानकारी मिलती थी।
पानीपत की बू अली कलंदर शाह दरगाह का मौसम पत्थर
वहीं पानीपत जिले के बीचो-बीच बनी बू अली कलंदर शाह की दरगाह में देश विदेश के लोग मान्यता रखते हैं। कहा जाता है कि यहां बहुत से नायाब पत्थर रखे हुए हैं। जो किसी राजा ने यहां दीवारों में जड़वाए थे। इन पत्थरों में से एक ऐसा पत्थर भी है जिसे मौसम पत्थर के नाम से जाना जाता है। इस मौसम पत्थर से लोग पहले की मौसम का अनुमान लगाया करते थे। आज भले ही बड़ी-बड़ी तकनीक से मौसम का अनुमान लगाया जाता हो, परंतु इन पत्थरों से भी मौसम का पता लग जाता था कि बारिश कब होगी और कितनी होगी।
मौसम बदलने से पहले इस तरह पत्थर में होता है परिवर्तन
वहीं दरगाह पर रहने वाले मोहम्मद रिहान बताते हैं कि जब बारिश होने वाली होती है तो इस पत्थर पर पहले ही पानी की छोटी-छोटी बूंदे इकट्ठा हो जाती हैं। साथ ही जब ज्यादा बारिश होने का अनुमान होता है तो यह पत्थर पूरा गीला हो जाता है। जब गर्मी अधिक पड़ने की संभावना होती है तो पहले ही यह पत्थर गर्म हो जाता है। सर्दियों में भी इसी तरह इस पत्थर का तापमान बदलता रहता है।
देश-विदेश से लोग आकर पत्थर पर कर चुके हैं रिसर्च
उन्होंने बताया कि उनके पिता मोहम्मद सूफी दरगाह को देखने का का करते थे। उन्हें इस पत्थर से मौसम को पढ़ना आता था। पानीपत में सिर्फ वही ऐसे शख्स थे। जो इस पत्थर को पढ़ सकते थे और मौसम की जानकारी दे सकते थे। 2 महीने पहले ही उनका देहांत हो गया। इस पत्थर के बारे में देश-विदेश से लोग आकर रिसर्च भी कर चुके हैं, परंतु अब तक कोई भी यह जानकारी नहीं दे पाया कि यह पत्थर किस तरह और कैसे कार्य करते हैं।
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आखिर कहां से आए ये पत्थर ?
यह मौसम के पत्थर करीब 500 साल पहले कैराना के बड़े हकीम नवाब मुकर्रम अली थे। उन्होंने ही बू अली शाह कलंदर की दरगाह पर लगवाए थे। जनश्रुतियों के अनुसार यह पत्थर हकीम मुकर्रम अली को जिन्न द्वारा भेंट किए गए थे। बताया जाता है कि जिन्नों की बेटी का इलाज मुकर्रम अली ने किया था, जिससे खुश होकर यह पत्थर भेंट किए गए थे और मुकर्रम अली और बू अली शाह कलंदर के मुरीद हुआ करते थे। उन्होंने ही इन मौसमी पत्थरों को दरगाह की दीवारों में जड़वा दिया था। जिसके बाद से यह पत्थर दीवार में ही लगे है और मौसम की जानकारी देते हैं।
मौसम पत्थर: विज्ञान का चमत्कार या अंधविश्वास?
मौसम पत्थर का रहस्य आज भी लोगों के लिए एक पहेली है। वैज्ञानिकों ने इस पत्थर पर कई बार शोध किए हैं, लेकिन वे यह नहीं समझ पाए हैं कि यह पत्थर मौसम का अनुमान कैसे लगा पाता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह पत्थर हकीम मुकर्रम अली को जिन्न द्वारा भेंट किए गए थे और इसमें अलौकिक शक्तियां हैं।