भिवानी, हरियाणा: सामाजिक रीति-रिवाजों और परंपराओं को बनाए रखने के नाम पर अजीबोगरीब फरमान जारी करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला हरियाणा के भिवानी जिले के गांव गुजरानी का है, जहां महिला सरपंच के प्रतिनिधि ससुर ने युवाओं के केवल कच्छा पहनकर गांव में घूमने पर पाबंदी लगा दी है।
यह अविश्वसनीय फरमान गांव के युवाओं के लिए मानो गरज बनकर टूटा है। वे इस प्रतिबंध का विरोध कर रहे हैं और इसे अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन मानते हैं।
युवाओं का विरोध:
गांव के युवाओं का कहना है कि कच्छा पहनना उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। वे सदियों से इसी परिधान में काम करते आए हैं और इसे पहनकर घूमने में कोई आपत्ति नहीं है। उनका यह भी कहना है कि महिला सरपंच का यह प्रतिबंध केवल उन्हें परेशान करने के लिए है।
महिला सरपंच का तर्क:
वहीं, महिला सरपंच का तर्क है कि कच्छा पहनकर घूमना अश्लीलता के दायरे में आता है और यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। उनका कहना है कि वे गांव में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित माहौल देना चाहती हैं और इसीलिए यह प्रतिबंध लगाया गया है।
गांव में तनाव:
इस प्रतिबंध के बाद गांव में तनाव का माहौल है। युवाओं और महिला सरपंच के समर्थकों के बीच तीखी बहस हो रही है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि महिला सरपंच को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था।
क्या है आगे का रास्ता?
यह देखना बाकी है कि इस मामले में क्या होता है। क्या महिला सरपंच अपना प्रतिबंध वापस लेती हैं या युवा अपना विरोध जारी रखते हैं।
यह घटना ग्रामीण भारत में बदलती सामाजिक रीति-रिवाजों और युवा पीढ़ी की बढ़ती स्वतंत्रता की इच्छा के बीच टकराव को दर्शाती है।