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पुराने जमाने में लोग झींगुर की आवाज से पता लगाते थे तापमान, जिससे आज भी मिलती है सही जानकारी, जानिए कैसे

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पुराने जमाने में लोग झींगुर की आवाज से पता लगाते थे तापमान, जिससे आज भी मिलती है सही जानकारी, जानिए कैसे

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Old Temperature Check Trick: कई सदियों से, ग्रामीण समुदायों में झींगुर की चहचहाहट को तापमान का मापदंड माना जाता रहा है। यह एक लोकप्रिय कहावत है: “झींगुर की बोलियां, तापमान की दलीलें।” क्या यह कहावत वैज्ञानिक आधार पर सच है? आइए इस रहस्य को उजागर करते हैं।

झींगुर की आवाज कैसे उत्पन्न होती है?

नर झींगुर मादाओं को आकर्षित करने के लिए अपनी अनोखी चहचहाहट का उपयोग करते हैं। यह ध्वनि उनके पेट पर स्थित टिम्पाना नामक अंगों को कंपन करके बनाई जाती है। टिम्पाना को कंपन करने के लिए, झींगुर अपने पैरों को तेजी से रगड़ते हैं।

तापमान और झींगुर की चहचहाहट का संबंध

अध्ययनों से पता चला है कि झींगुर की चहचहाहट की गति बाहरी तापमान से सीधे संबंधित है। तापमान जितना अधिक होता है, झींगुर उतनी ही तेजी से अपने पैरों को रगड़ते हैं, जिससे उनकी चहचहाहट भी तेज हो जाती है।

झींगुर की चहचहाहट से तापमान का अनुमान कैसे लगाएं?

यहां एक सरल सूत्र है जिसका उपयोग करके आप झींगुर की चहचहाहट से तापमान का अनुमान लगा सकते हैं:

फ़ारेनहाइट में तापमान = 14 + (15 सेकंड में चहचहाहट की संख्या)

उदाहरण:

यदि आप 15 सेकंड में 30 झींगुरों को चहचहाते हुए सुनते हैं, तो तापमान लगभग 59 डिग्री फ़ारेनहाइट होगा।

यह विधि कितनी सटीक है?

यह विधि एक अनुमान प्रदान करती है और 100% सटीक नहीं है। कई कारक हैं जो झींगुर की चहचहाहट की गति को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि उनकी प्रजाति, आयु, और लिंग।

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