Monsoon 2024 Update: भारत की अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र के लिए मॉनसून की बारिश अत्यंत महत्वपूर्ण है। देश के लगभग 52% कृषि योग्य क्षेत्र में वर्षा पर निर्भरता है, और यह बिजली उत्पादन और पेयजल स्रोतों को फिर से भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आमतौर पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून को केरल तट पर पहुंचता है और धीरे-धीरे पूरे देश में फैलता है।
2024 में मॉनसून की शुरुआत
हालांकि, 2024 में, मॉनसून की शुरुआत थोड़ी असामान्य रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 31 मई को केरल और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पहुंचने की उम्मीद है। यह 7 साल बाद पहली बार होगा जब मॉनसून 1 जून से पहले केरल और पूर्वोत्तर भारत में पहुंचेगा।
पिछली बार ऐसा कब हुआ था?
पिछली बार 2017 में ऐसा हुआ था, जब मॉनसून 30 मई को केरल और पूर्वोत्तर भारत पहुंचा था।
मॉनसून की प्रगति: आईएमडी का पूर्वानुमान
आईएमडी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून को केरल के अधिकांश हिस्सों और 5 जून को पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पहुंचने की संभावना है।
मॉनसून की देरी के संभावित कारण
मॉनसून की देरी के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
अल नीनो: अल नीनो एक जलवायु घटना है जो प्रशांत महासागर के सतही तापमान में वृद्धि का कारण बनती है। यह भारत में कमजोर मॉनसूनी हवाओं और कम बारिश से जुड़ा है।
La Niña: La Niña अल नीनो का विपरीत है, और यह मजबूत मॉनसूनी हवाओं और अधिक बारिश की ओर ले जाता है।
हिंद महासागर द्विध्रुव: हिंद महासागर द्विध्रुव हिंद महासागर के सतही तापमान में एक पैटर्न है जो मॉनसून की बारिश को प्रभावित कर सकता है।
कृषि पर मॉनसून का प्रभाव
मॉनसून की शुरुआत और प्रगति का भारत के कृषि क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। समय पर और पर्याप्त बारिश खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें धान, बाजरा, मक्का, दालें और कपास शामिल हैं।