Nipah virus infection: केरल के मलप्पुरम में निपाह वायरस से संक्रमित एक 14 साल के किशोर की मौत हो गई है। यह राज्य में इस साल निपाह वायरस से होने वाली पहली मौत है। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्काल अलर्ट जारी कर दिया है और मृतक किशोर के परिजनों को आइसोलेशन में रखा गया है। परिवार का एक सदस्य ICU में है।
निपाह वायरस के फैलाव का इतिहास
साल 2018 के बाद से यह पांचवीं बार है कि केरल में निपाह वायरस का संक्रमण फैला है। इससे पहले 2018, 2019, 2021, 2023 और अब 2024 में इसके मामले सामने आए हैं।
निपाह वायरस क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों और इंसानों दोनों में फैलता है। यह संक्रमित जानवरों या उनके शरीर से निकले तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है। संक्रमित चमगादड़ों के यूरिन या लार से दूषित फल खाने से भी यह इंसानों में फैल सकता है। कई मामलों में यह सुअर, बकरी, घोड़े और कुत्तों के जरिए भी फैल सकता है। इस बीमारी में मृत्यु दर 40% से 75% तक है। भारत में मृत्यु दर और भी अधिक है।
निपाह वायरस के लक्षण
निपाह वायरस के संक्रमण के लक्षण आमतौर पर 4 से 14 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं। इसमें सबसे पहले बुखार और सिरदर्द होता है। इसके बाद खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी रेस्पिरेटरी समस्याएं विकसित होती हैं। गंभीर मामलों में व्यक्ति को ब्रेन इन्फेक्शन हो सकता है, जिससे सिर में सूजन (एन्सेफलाइटिस) हो सकती है।
निपाह वायरस कितना खतरनाक है?
अमेरिका स्थित सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, निपाह वायरस से संक्रमित 40% से 75% लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह वायरस इंसानों के लिए अत्यंत जानलेवा साबित हो सकता है, खासकर भारत जैसे अधिक आबादी वाले और विकासशील देशों में।
यह वायरस कैसे फैलता है?
निपाह वायरस मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है, लेकिन यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति का इलाज करते समय सुरक्षात्मक उपकरण (PPE) किट पहनना आवश्यक होता है। यह वायरस सांस से निकली छोटी बूंदों से भी फैल सकता है।
पहली बार निपाह वायरस का पता कैसे चला?
WHO के मुताबिक, साल 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। इस गांव के नाम पर ही इस वायरस का नाम निपाह पड़ा।
निपाह वायरस का इलाज क्या है?
निपाह वायरस के इलाज के लिए कोई एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है और अभी तक इसके लिए कोई वैक्सीन भी विकसित नहीं हुई है। इसका मतलब है कि ट्रीटमेंट में सिर्फ लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है। मरीज की देखभाल में निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना चाहिए:
- दिन में 7-8 गिलास पानी पीना
- भरपूर आराम
- मतली या उल्टी को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का उपयोग
- सांस लेने में कठिनाई होने पर इन्हेलर या नेब्युलाइजर का उपयोग
- दौरे पड़ने पर एंटीकॉन्वल्जेंट्स देना
निपाह वायरस से बचाव के उपाय
निपाह वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए इसके प्रसार को रोकना सबसे कारगर उपाय है। COVID-19 काल की तरह, संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना और देखभाल के दौरान PPE किट का उपयोग करना आवश्यक है।
तालिका: निपाह वायरस के लक्षण और बचाव
लक्षण | बचाव के उपाय |
---|---|
बुखार और सिरदर्द | संक्रमित क्षेत्रों में न जाएं |
खांसी और सांस लेने में कठिनाई | PPE किट का उपयोग |
ब्रेन इन्फेक्शन और एन्सेफलाइटिस | संक्रमित जानवरों और उनके तरल पदार्थों से दूरी बनाए रखें |
अधिक जानकारी के लिए आप WHO की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। निपाह वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए, सभी को सतर्क रहने और आवश्यक सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है।