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आपकी जान तक ले सकता है कबूतर, जानिए कैसे खराब कर देता है फेफड़ा

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आपकी जान तक ले सकता है कबूतर, जानिए कैसे खराब कर देता है फेफड़ा

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Pigeons Chronic Lung Disease
Pigeons Chronic Lung Disease

Pigeons Chronic Lung Disease : कबूतर, जो लंबे समय से इंसानों के दोस्त और संदेशवाहक रहे हैं, अब आपके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अध्ययन में पाया कि कबूतरों के पंखों और बीट के संपर्क में लंबे समय तक रहने से लोगों में फेफड़ों की गंभीर बीमारी हो सकती है।

11 वर्षीय लड़के का मामला

वसुंधरा एन्क्लेव के एक 11 वर्षीय लड़के को कबूतर के पंखों और बीट के संपर्क में आने से सांस की गंभीर बीमारी हो गई। शुरुआत में साधारण खांसी से शुरू होकर यह समस्या इतनी बढ़ गई कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जांच में पता चला कि लड़के के फेफड़ों में सूजन है, जिसे ‘हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस’ (एचपी) कहा जाता है। कबूतरों से हुई एलर्जी ने लड़के की हालत को तेजी से बिगाड़ दिया था।

बच्चों को ज्यादा खतरा

शोध में यह सामने आया है कि एचपी बीमारी आमतौर पर वयस्कों में पाई जाती है, लेकिन 15 साल से कम उम्र के बच्चों में भी यह बीमारी हो सकती है, जिसकी पहचान मुश्किल होती है। एचपी बच्चों में ‘लॉन्ग-टर्म इंटरस्टिटियल लंग डिजीज’ (ILD) का सामान्य प्रकार है, जो प्रति 10 लाख बच्चों में से 4 को प्रभावित कर सकता है।

ILD की गंभीरता

डॉक्टरों के मुताबिक, ILD फेफड़ों के ऊतकों पर ऐसा निशान छोड़ता है जो मिटता नहीं और समय के साथ बढ़ता रहता है। इससे व्यक्ति की सांस लेने की क्षमता प्रभावित होती है और फेफड़ों की ऑक्सीजन स्थानांतरित करने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने की क्षमता कम हो जाती है।

उपचार और देखभाल

सर गंगाराम अस्पताल की बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई के सह-निदेशक डॉ. धीरेन गुप्ता और उनकी टीम ने बच्चे का गहन इलाज किया। इसमें ऑक्सीजन थेरेपी और स्टेरॉयड उपचार शामिल था। सही इलाज से बच्चे के फेफड़ों की सूजन कम हो गई और उसकी स्थिति सामान्य हो गई।

जल्दी इलाज है जरूरी

डॉ. गुप्ता के मुताबिक, एचपी के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और तुरंत इलाज कराना बहुत जरूरी है। पक्षियों की बीट और पंखों से बचाव के लिए जागरूकता फैलाना जरूरी है ताकि इस तरह की बीमारियों से बचा जा सके।

खबर की मुख्य बातें:

  • कबूतरों के पंखों और बीट से हो सकती है फेफड़ों की क्रोनिक बीमारी।
  • 11 वर्षीय लड़के में पाया गया हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस (एचपी)।
  • बच्चों में भी हो सकती है यह बीमारी, तुरंत इलाज जरूरी।
  • डॉक्टरों की टीम ने किया सफल इलाज, ऑक्सीजन थेरेपी और स्टेरॉयड उपचार का उपयोग।

कबूतरों से सावधान रहें और अपने परिवार को सुरक्षित रखें। यदि आपको किसी तरह की सांस की समस्या महसूस होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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