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इस गर्मी में नरमें की सिंचाई का सही समय व सिंचाई के साथ यूरिया डालें या ना, जाने सबकुछ

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इस गर्मी में नरमें की सिंचाई का सही समय व सिंचाई के साथ यूरिया डालें या ना, जाने सबकुछ

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Narma ki Sinchai and Urea: जैसा की आप सभी जानते है कि इन दिनों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में भयंकर गर्मी पड़ रही है। ऐसे में नरमे की फसल नष्ट होने की कगार पर है। इसी को देखते हुए आज हम बात करेगें की नरमा-कपास में पहला पानी कब देना चाहिए यानी की पहली सिंचाई हमें कितने दिनों के ऊपर करनी चाहिए। नरमा कपास में और इसके अलावा पहले पानी के साथ में यूरिया की कितनी मात्रा देनी चाहिए। क्या पहले पानी के साथ में यूरिया डालें या फिर ना डालें तो इन सभी सवालों का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा कि नरमा कपास में पहला पानी कब लगाई और उसके साथ में यूरिया कितनी डालें या फिर ना डालें।

हमारा पहला सवाल है कि नरमा कपास में पहला पानी कितने दिनों के बाद में देना चाहिए तो इसका कोई भी फिक्स आंसर नहीं है यानी कि यह कहना कि 20 दिनों के बाद में पहली सिंचाई करें, 25 दिनों में, 35 दिनों में या 45 दिनों में पहली सिंचाई करें। क्योंकि जमीन के हिसाब से और मौसम की कंडीशन के हिसाब से और आपकी फसल की कंडीशन को देखकर फसल की बढ़वार को देखकर उसमें पहली सिंचाई करनी चाहिए।

जो हम ट्यूबल से स्प्रिंग कलर से नोज से पहले उसमें 5, 10, 20, 25 मिनट का पानी देते हैं उसको हम पहली सिंचाई नहीं मानते। पहली सिंचाई का मतलब है जो हम फसल में पूरा लगते हैं यानी कि जो नहर के द्वारा सिंचाई करते हैं या फिर अगर हम स्प्रिंग कलर से करते हैं तो कम से कम दो-दो घंटे उसमें हम पानी देते हैं तो वह पहली सिंचाई होती है।

आपको नरमा की फसल को पहला पानी यानी सिंचाई आपकी फसल की कंडीशन के हिसाब से देना चाहिए और जितना ज्यादा लेट हो सके उतना ज्यादा आपको पहला पानी लेट करना चाहिए। नरमा कपास में पहला पानी हमें लेट क्यों देना चाहिए इसके पीछे क्या कारण है। तो जैसा कि हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार के द्वारा भी कहा जाता है कि हमें नरमा कपास में पहली सिंचाई जितना हो सके उतना लेट करना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि जब हम पहले पानी लगाते हैं तो नरमा कपास की जड़े जमीन में नीचे गहराई तक चली जाती हैं और जमीन में जड़े गहराई तक चली जाएंगे तो जड़ों का अच्छा विकास हो जाएगा तो पौधा आसानी से नीचे नहीं गिरेगा।

जब हमारी फसल के ऊपर काफी ज्यादा फूल फल आने लगता है तो फसल नरमा की उखाड़ जाता है उसमें वाइल्ड रोग हो जाता है। फसल जल जाती है तो यह संभावना काफी कम हो जाती है। अगर हम पहले पानी लेट लगाते हैं और हमारी फसल की जड़े नीचे जमीन में गहराई तक चली जाती है। जेड पौधे की मजबूत हैं तो उसमें उखेड़ा रोग आने की समस्या भी काम हो जाती है।

इसके पीछे यह कारण होता है पहले पानी लेट लगाने के पीछे। लेकिन पहला पानी इतना भी लेट न करें। पहले पानी के लिए इतने दिन की ही देरी करें कि आपकी फसल खराब ना हो यानी की फसल को कोई नुकसान ना हो। इसका भी आपको ध्यान में रखकर ही पहले पानी देना चाहिए।

इसके बाद में बात आती है कि पहले पानी के साथ में यूरिया कितनी देनी चाहिए। कौन सी कंडीशन में यूरिया नहीं देनी चाहिए। अगर आपने बिजाई के टाइम पर यूरिया डाली है तो आप पहली सिंचाई के साथ में यूरिया डालने से पहले यह देखें कि आपकी फसल की बढ़वार कैसी है। अगर ग्रोथ आपकी फसल में अच्छी है, आपने कोई नीचे गोबर वगैरा की देसी खाद भी डाल रखी है तो यूरिया आपको डालने की जरूरत नहीं है।

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अगर पोधो की ग्रोथ अच्छी है और अगर आपको लगे की पतवार में कमी है, फसल में हरापन आपको कम नजर आता है, पीलापन कुछ दिखाई देता है तो आप यूरिया का छिड़काव करें। आपके बगल में पानी के साथ में यूरिया डालते है तो फसल में अच्छा हरापन आता है और अच्छी बढवार आएगी। क्योंकि यूरिया में नाइट्रोजन होती है और नाइट्रोजन का काम होता है पौधे की पतवार करना, तो आप यूरिया दे सकते हैं।

लेकिन बाद में जब बारिश का मौसम आता है जब मानसून का टाइम आता है तो उसे टाइम पर आप ज्यादा यूरिया नहीं भी दोगे तो आपका काम चल जाएगा। इसलिए पहले पानी के साथ में हो सके तो यूरिया देने की कोशिश करें। अगर ग्रोथ आपकी फसल की काफी अच्छी है तो आप यूरिया ना भी दोगे तो भी आपका काम चल जाएगा। इस प्रकार से पहले पानी के साथ में आपको यूरिया का मैनेजमेंट करना है।

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