School Holidays News 2024, हरिद्वार: सावन का महीना शुरू होते ही उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ मेले की शुरुआत हो गई है। इस मेले के चलते जिला प्रशासन ने स्कूलों में छुट्टियों का ऐलान कर दिया है। हरिद्वार में लाखों कांवड़ियों के इकट्ठा होने के कारण जिला प्रशासन ने बढ़ती भीड़ को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है।
जिलाधिकारी का आदेश
हरिद्वार के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि कांवड़ मेले के दौरान पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र 27 जुलाई से 2 अगस्त तक बंद रहेंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि मेले के दौरान भारी भीड़ और ट्रैफिक की स्थिति को संभालने के लिए रूट डायवर्ट किए जाएंगे, जिससे स्कूल आने-जाने वाले बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
कांवड़ मेले की तैयारी
हरिद्वार में कांवड़ मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जिसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस दौरान शहर में भारी भीड़ होती है और यातायात प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है।
तिथि | घटना |
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27 जुलाई | स्कूलों में छुट्टियों की शुरुआत |
2 अगस्त | स्कूलों में छुट्टियों का अंत |
रूट डायवर्जन और यातायात व्यवस्था
जिला प्रशासन ने मेले के दौरान यातायात व्यवस्था को बनाए रखने के लिए विशेष रूट डायवर्जन की योजना बनाई है। रूट डायवर्जन की जानकारी स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर अपडेट की जाएगी।
बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता
जिलाधिकारी गर्ब्याल ने बताया कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। भारी भीड़ और ट्रैफिक जाम के कारण बच्चों के स्कूल आने-जाने में कठिनाइयां हो सकती हैं, इसलिए यह निर्णय लिया गया है।
स्थानीय लोगों के लिए सलाह
स्थानीय लोगों को भी सलाह दी गई है कि वे मेले के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें और प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें। कांवड़ मेले के दौरान सुरक्षा और सुविधाओं के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं।
कांवड़ मेला: एक दृष्टि
हरिद्वार में आयोजित कांवड़ मेला उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है। लाखों श्रद्धालु गंगा जल लाने के लिए यहां आते हैं और इसे अपने-अपने स्थानीय शिवालयों में चढ़ाते हैं। इस आयोजन के दौरान हरिद्वार में भक्तों की भारी भीड़ होती है और पूरा शहर भक्तिमय वातावरण में डूब जाता है।
कांवड़ मेले के दौरान हरिद्वार का वातावरण अद्वितीय होता है। शहर के हर कोने में श्रद्धालुओं की आवाजाही और धार्मिक गतिविधियों की गूंज होती है। स्थानीय प्रशासन और जनता मिलकर इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान देते हैं।