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आखिर कैसे रिकॉर्ड किया जाता है न्यूनतम और अधिकतम तापमान?

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आखिर कैसे रिकॉर्ड किया जाता है न्यूनतम और अधिकतम तापमान?

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Temperature Recording: बीती 29 मई को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तापमान 52.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जबकि राजस्थान के चुरू में 50.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गर्मियों का यह सीजन उत्तर भारत के लिए अब तक के सबसे गर्म सीजनों में से एक बन गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनियाभर की मौसम एजेंसियां न्यूनतम और अधिकतम तापमान कैसे रिकॉर्ड करती हैं? इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि तापमान रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया क्या है और इनकी सटीकता पर अक्सर सवाल क्यों उठते हैं।

तापमान रिकॉर्डिंग की आधिकारिक प्रक्रिया

जयपुर मौसम विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा का कहना है कि आधिकारिक तापमान रिकॉर्डिंग धरती की सतह से नहीं बल्कि जमीन से 1.25 मीटर ऊपर हवा की होती है।

यह अंतर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रेत या धातु जैसी सतहें सीधी धूप में तेजी से गर्म होती हैं। इससे हवा के वास्तविक तापमान की बजाय अधिक ऊंची रीडिंग मिल सकती है।

उन्होंने कहा कि दोपहर में यदि हम किसी भी सतह का तापमान लें, चाहे वह सड़क हो, कोई धातु हो या गाड़ी का धातु से बना हिस्सा हो, धूप इन सतहों के तापमान को तेजी से बढ़ाती है। हवा के तापमान की तुलना में इन सतहों का तापमान अधिक होगा।

सटीक तापमान मापने की विधि

मौसम विज्ञान केंद्र सटीक तापमान मापने के लिए चार विशेषीकृत थर्मामीटर का उपयोग करते हैं। ये थर्मामीटर एक लकड़ी के बॉक्स में रखे होते हैं, जिसे स्टीवेंसन स्क्रीन कहा जाता है। इसे जमीन से करीब 4 फीट की ऊंचाई पर रखा जाता है। यह एक सफेद रंग का बॉक्स होता है जिसमें हवा के बहाव की व्यवस्था होती है।

इन बॉक्स को उत्तर की ओर मुख करके रखा जाता है जिससे एकदम सटीक तापमान रीडिंग मिल सके और धूप या छांव का बहुत ज्यादा असर न हो। थर्मामीटर को सीधी धूप से बचाने के लिए कवर किया जाता है ताकि तापमान की रीडिंग में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो।

चारों थर्मामीटर का कार्य

इस बॉक्स में रखे गए चार थर्मामीटर में से एक को ड्राई बल्ब थर्मामीटर कहा जाता है। यह सीधे हवा का परिवेश तापमान रिकॉर्ड करता है। वेट बल्ब नामक दूसरा थर्मामीटर वातावरण में सापेक्षिक नमी को मापता है। तीसरा थर्मामीटर पूरे दिन के अधिकतम तापमान को मापता है, जबकि चौथा थर्मामीटर रात भर के न्यूनतम तापमान पर नजर रखता है। यह तरीका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य है और दुनियाभर के मौसम केंद्र इसी के आधार पर काम करते हैं। इस प्रकार रिकॉर्ड किए गए डाटा को मौसम वैज्ञानिक सही मानते हैं।

तापमान मापने के उपकरणों की देखभाल

सटीक तापमान मापने के लिए उपकरणों की देखभाल और उनका रखरखाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। थर्मामीटर को नियमित रूप से कैलिब्रेट किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे सही ढंग से काम कर रहे हों। इसके अलावा, स्टीवेंसन स्क्रीन को साफ और अच्छी स्थिति में रखा जाता है ताकि धूल या अन्य तत्व रीडिंग को प्रभावित न कर सकें।

सटीकता के महत्व और चुनौतियाँ

तापमान रिकॉर्डिंग की सटीकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब यह गर्मी के रिकॉर्ड्स या अन्य महत्वपूर्ण मौसम संबंधी घटनाओं की बात आती है। हालांकि, इसमें कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं। जैसे, अचानक मौसम परिवर्तन, स्थानिक विविधताएँ, और मानव जनित गलतियाँ। इन चुनौतियों के बावजूद, मौसम वैज्ञानिक विभिन्न तरीकों और तकनीकों का उपयोग करते हुए अधिकतम सटीकता प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।

मौसम की भविष्यवाणी और तापमान डेटा का उपयोग

तापमान रिकॉर्डिंग का डेटा मौसम की भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डेटा हमें न केवल वर्तमान मौसम की स्थिति के बारे में जानकारी देता है, बल्कि भविष्य के मौसम की संभावनाओं के बारे में भी पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी क्षेत्र में लगातार उच्च तापमान दर्ज किया जाता है, तो यह उस क्षेत्र में गर्मी की लहर के आने की चेतावनी हो सकती है।

विभिन्न देशों में तापमान मापने के मानक

दुनियाभर में विभिन्न मौसम केंद्र तापमान मापने के लिए अलग-अलग मानकों का पालन करते हैं। लेकिन अधिकांश केंद्र अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं ताकि डेटा की तुलना और विश्लेषण में आसानी हो सके।

भविष्य में तापमान मापने की तकनीक

तकनीक के विकास के साथ, तापमान मापने की विधियों में भी सुधार हो रहा है। उन्नत थर्मामीटर, सैटेलाइट डेटा, और स्वचालित मौसम स्टेशन अब तापमान मापने में अधिक सटीकता और विश्वसनीयता प्रदान करते हैं। भविष्य में, इन तकनीकों के और अधिक विकसित होने की संभावना है जिससे हमें और भी सटीक और विस्तृत डेटा प्राप्त होगा।

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