Titahari bird eggs and Monsoon: आधुनिक युग में मौसम विभाग भले ही बारिश का पूर्वानुमान लगाने के लिए उच्च तकनीकी संसाधनों का उपयोग करता हो, लेकिन भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण आज भी पौराणिक मान्यताओं और पशु-पक्षियों के व्यवहार के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी करते हैं।
टिटहरी के अंडों से बारिश का आकलन
भीलवाड़ा जिले में इस बार टिटहरी ने ऊंचाई पर अंडे दिए हैं, जिससे स्थानीय लोगों का मानना है कि इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, टिटहरी के अंडों की स्थिति और संख्या के आधार पर मानसून का अनुमान लगाया जाता है।
टिटहरी के अंडों की स्थिति और बारिश
- तालाब किनारे, बांध किनारे और नदी किनारे अंडे: मध्यम से कम बारिश।
- जंगल और खेतों में अंडे: अच्छी बारिश।
अंडों की संख्या और बारिश का पूर्वानुमान
- 3 अंडे: सामान्य बारिश।
- 4 अंडे: अच्छी बारिश।
भीलवाड़ा में इस बार टिटहरी ने जंगल में 4 अंडे दिए हैं, जिससे लोगों में अच्छे मानसून की उम्मीद जगी है।
पौराणिक मान्यताओं का महत्व
भीलवाड़ा के व्यास पंडित राजेंद्र कुमार व्यास बताते हैं कि आषाढ़ माह में मानसून पूर्व की बारिश हो रही है, लेकिन आगामी दिनों में बारिश कैसी होगी, इसका पूर्वानुमान टिटहरी के अंडों के आधार पर लगाया जा रहा है।
किसान शंभू गिरी के अनुसार, टिटहरी के अंडों की दिशा भी बारिश के पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- 4 अंडों का मुख जमीन की ओर: चार महीने अच्छी बारिश।
- 2 अंडे ऊपर और 2 अंडे नीचे: दो महीने अच्छी बारिश।
- अंडों का मुख ऊपर: उस माह में बारिश की संभावना कम।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस वर्ष बारिश
भीलवाड़ा में इस बार टिटहरी ने 4 अंडे जंगल में दिए हैं, जिससे चारों महीनों में अच्छी बारिश की संभावना बन रही है। यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा कि कहां कितनी बारिश होती है, लेकिन पौराणिक मान्यताओं के आधार पर स्थानीय लोग इस वर्ष अच्छे मानसून की उम्मीद कर रहे हैं।
इस प्रकार, टिटहरी के अंडों के आधार पर बारिश का पूर्वानुमान लगाना न केवल पौराणिक मान्यताओं का अद्भुत विज्ञान है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन में प्रकृति और पशु-पक्षियों के साथ सामंजस्य का भी प्रतीक है।