Pre Monsoon Rain: पिछले चार दिनों से पूर्वी भारत के कई हिस्सों में भारी प्री-मानसून गतिविधि देखी जा रही है। कोलकाता सहित गंगीय पश्चिम बंगाल में भारी बारिश हुई है, जबकि ओडिशा, झारखंड और बिहार के कुछ हिस्सों में भी मध्यम बारिश हुई है। इन क्षेत्रों में गर्मी से कुछ राहत मिली है, लेकिन अगले पांच दिनों में एक बार फिर प्री-मानसून गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है, जिससे कुछ हिस्सों में तूफानी स्थिति बन सकती है।
तूफान की गतिविधि:
बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत पर चक्रवाती परिसंचरण के बुलबुले बने हुए हैं। इसके साथ ही झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के त्रि-जंक्शन पर भी चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल पर एक सपोर्ट ट्रफ रेखा भी मौजूद है। बंगाल की खाड़ी इस क्षेत्र में नम हवा को बढ़ावा देने के लिए भरपूर सहायक है। इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव के कारण 9 से 13 मई के बीच इन राज्यों में भारी प्री-मानसून तूफान आने की संभावना है।
तूफान का प्रभाव:
यह तूफान अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर और अलग-अलग तीव्रता के साथ आएगा। पहले दो दिनों में गंगीय पश्चिम बंगाल के निचले हिस्सों और उत्तरी ओडिशा के तटीय स्टेशनों पर तेज हवाओं और गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। इसके बाद 24-48 घंटों के अंतराल पर मौसम की गतिविधियां ओडिशा और झारखंड के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंचेंगी।
तूफान के दौरान क्या करें:
तूफान से जानमाल का नुकसान हो सकता है। तूफान के दौरान सुरक्षित रहने के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है:
- मजबूत घरों या इमारतों के अंदर रहें।
- पेड़ों, बिजली के तारों और अन्य खतरनाक वस्तुओं से दूर रहें।
- तूफान के दौरान बाहर जाने से बचें।
- यदि आप बाहर हैं, तो तुरंत किसी मजबूत आश्रय स्थल पर जाएं।
- बिजली के उपकरणों का उपयोग न करें।
- तूफान के बाद, क्षति का आकलन करें और यदि आवश्यक हो तो मदद के लिए संपर्क करें।
मौसम में सुधार:
मौसम प्रणालियों के कमजोर होने और हटने से अगले सप्ताह की शुरुआत में मौसम की स्थिति में सुधार होगा। 14 मई को ओडिशा और झारखंड में हल्की गतिविधि (बारिश, आंधी, तेज हवाएं, ओलावृष्टि, बिजली गिरना) देखी जा सकती है। 15 मई से बादलों के छंटने की उम्मीद है।
किसानों के लिए सलाह:
किसानों को तूफान से अपने फसलों को बचाने के लिए आवश्यक उपाय करने चाहिए। तूफान और ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। किसानों को अपनी फसलों का बीमा करवाना चाहिए और तूफान से बचाव के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।