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बच्चा पैदा होने पर होता है मातम, मृत्यु पर मनाया जाता है जश्न; जानिये देश में ऐसी अजीब परंपरा के बारे में

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बच्चा पैदा होने पर होता है मातम, मृत्यु पर मनाया जाता है जश्न; जानिये देश में ऐसी अजीब परंपरा के बारे में

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बच्चा पैदा होने पर होता है मातम, मृत्यु पर मनाया जाता है जश्न; जानिये देश में ऐसी अजीब परंपरा के बारे में

Weird Tribes of India: भारत में कई जनजातियां हैं जो सदियों पुराने रीति-रिवाजों को आज भी निभा रही हैं। इनमें से कुछ जनजातियों के रिवाज इतने विचित्र हैं कि उन्हें सुनकर ही आप हैरान हो जाएंगे। आज हम आपको एक ऐसी ही जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जीवन के पैटर्न के विपरीत कार्य करती है।

जीवन और मृत्यु के प्रति अजीब दृष्टिकोण

राजस्थान के जिप्सी समुदाय के लोग जीवन और मृत्यु के प्रति एक अद्वितीय दृष्टिकोण रखते हैं। जहाँ आमतौर पर लोग बच्चे के जन्म पर खुशियाँ मनाते हैं और किसी की मृत्यु पर दुखी होते हैं, वहीं जिप्सी समुदाय के लोग इसके विपरीत करते हैं।

मरने पर खुशी और पैदा होने पर दुख मनाते हैं

यह जनजाति किसी के मरने पर खुशी मनाती है और बच्चे के जन्म पर दुखी होती है। जब इस जनजाति का कोई व्यक्ति मरता है तो सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई बांटते हैं और शराब का सेवन करते हैं। शव को ढोल की धुन पर नाचते-गाते हुए शमशान ले जाया जाता है और तब तक नाचते हैं जब तक मृतक का शरीर पूरी तरह से राख में न बदल जाए।

मृत्यु पर खुशी मनाने का कारण

जिप्सी जनजाति का मानना है कि मृत्यु आत्मा को भौतिक रूप से मुक्त करती है, और जीवन एक अभिशाप है जिसे ईश्वर ने सजा के रूप में दिया है। इसलिए, मृत्यु को एक महान अवसर के रूप में देखा जाता है।

नवजात के पैदा होने पर दुख

जब किसी घर में बच्चा पैदा होता है, तो जिप्सी समुदाय के लोग दुख मनाते हैं। इस मौके पर वे उस बच्चे को श्राप देते हैं और उस दिन घर में खाना नहीं बनाया जाता। इस जनजाति के बच्चे न तो स्कूल जाते हैं और न ही पढ़ाई करते हैं।

महिलाएं और वेश्यावृत्ति

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस समुदाय की महिलाएं वेश्यावृत्ति कर अपना गुजारा करती हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं।

राजस्थान में लगभग 24 जिप्सी परिवार समूह हैं, जो तटों और खाली स्थानों पर आश्रयों में रहते हैं। ये ज्यादातर अशिक्षित होते हैं और अपनी परंपराओं का सख्ती से पालन करते हैं।

इन विचित्र परंपराओं और रीति-रिवाजों के बावजूद, यह जनजाति अपने अनोखे जीवन शैली को बनाए हुए है और इसे जीने का अपना तरीका मानती है।

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